‘ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए……..अब बूझो!’-इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है?

उपर्युक्त कथन से लोगों में क्षेत्रीयता की भावनाएं, स्वाभाविक कठोरता और पारस्परिक द्वेष की भावना व्यक्त होती हैं। इस कथन से साफ पता चलता है कि उस व्यक्ति के मन को काफी गहरी चोट पहुंची होगी। ये दुख उसके और एक दुखी ग्रामीण के मन की स्वाभाविक प्रतिक्रिया को भी दर्शाता है। उसके बोले गए कथन से पता चलता है कि लोग संकट की घड़ी में एक-दूसरे की सहायता करने की बजाय स्वार्थी हो जाते हैं। जबकि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए| उन्हें अपने स्वार्थ से परे एक दूसरे की मदद करनी चाहिए ताकि भविष्य में उन पर आने वाली प्राकृतिक आपदा के समय दूसरे भी उनकी मदद के लिए आगे आएं| लेकिन वहाँ ऐसा नहीं होता वे लोग अपनी सुख और सुविधाओं को छोड़कर किसी संकटग्रस्त व्यक्ति का हाल-चाल पूछने या उसकी मदद करने का कष्ट तक नहीं करते।


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